Add To collaction

लेखनी कहानी -17-Oct-2022 दीपावली(भाग 5)



           शीर्षक;- दीपावली

       सौनू की दादी आगे सौनू को समझाते हुए बोली ," सौनू बेटा धन त्रयोदशी के बाद दूसरे दिन छोटी दिवाली होती है ।इसके अगले दिन दीपावली का त्यौहार होता है।

    दीपावली  से पहले से ही सभी घरौ में मिठाईयाँ बनायी जाती है। बाजार सजाये जाते है। बाजारौ में रौनक ही रौनक नजर आती है। सभी लोग तरह तरह की खरीददारी के लिए बाजारौ की तरफ दौड़ पड़ते है।

      बाजार में हर दुकान पर भीड़ नजर आती है। सभी लोग अपने घरौ को तरह तरह से सजाते है  । घरौ की छतौ पर दरवाजौ पर तरह तरह के बिजली के बल्ब व लडि़याँ लगाते है। दीपावली का युवाऔ व बच्चौ में बहुत उत्साह होता है।

     बच्चौ को मिठाई खाने को मिलती है एवं पटाखे फु लझडी़ व तरह तरह के अन्य पटाखे चलाने को मिलते है।

     बहुतसे लोग अपने रिश्तेदारौ को व अपने दोस्तौ को तरह तरह की गिफ्ट देते है जैसे मिठाई ड्राई फ्रूट आदि देते है। 

      दीपावली की रात को धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपक मोमवत्ती आदि जलाई जाती है। रात को सब तरफ रोशनी ही रोशनी की जाती है।

      दादी आगे सौनू को समझाते हुए बोली," बेटा तुम अभी छोटे हो इसलिए तुम्है अभी पटाखे नही चलाने चाहिए अभी तुम्है केवल फुलझडी़ चलानी चाहिए।

  सौनू अपनी दादी से पूछने लगा कि दादी यह दीपावली हम  किस खुशी में मनाते है। यह तो आपने बताया ही नही।

  दादी बोली," सौनू बेटा तुमने  सही बात पूछी है मैने तुम्है यह तो अभी तक नही बताया कि यह दीपावली का त्यौहार हम क्यौ मनाते है। मैने तुम्है बताया था कि श्रीराम ने रावण को मारकर लंका का राज्य बिभीषण को दे दिया था। और इसके बाद वह सीताजी को लेकर अयोध्या बापिस लौट रहे थे क्यौ कि वह अपने छोटे भाई भरत को बचन देकर आये थे कि मै चौदह बर्ष पूरे हौने पर बापिस अयोध्या आजाऊँगा।

       इहलिए वह पुष्फक विमान पर बैठकर अयोध्या वापिस जारहे थे वह नही चाहते थे कि उनके देर से लौटने पर भरत कुछ गलत न करले। इसलिए वह जैसे ही अयोध्या के नजदीक पहुँचे उसी समय उन्हौने हनुमानजी को यह समाचार बताने के लिए नन्दी ग्राम भेजा था।

          अब तुम यह पूछोगे कि हनुमानजी नन्दी ग्राम क्यौगयेथे वह अयोध्या क्यौ नहीं गये।तब इसका जबाब है कि भरत जी भी मुनियौ का भेष धारण करके नन्दी ग्राम मे रहरहे थे अयोध्या के राज सिंहाहन पर तो श्री राम की पादुका रखी हुई थी।

       भरत नन्दी ग्राम से ही राज चला रहे थे। जब यह शुभ समाचार हनुमान जी ने भरतजी को सुनाया वह बहुत प्रसन्न हुए और उन्हौने रात को नन्दी ग्राम मे घी के दीपक जलाये इस लिए छोटी दीपावली को घी के दीपक जलाते है।

      दूसरे दिन भरत जी अयोध्या को फूल मालाऔ से सजाया और सभी घरौ के बाहर दीपक जलाकर श्री राम सीता व लक्ष्मण का स्वागत किया गया था तबसे ही हम दीपावली मनाते चले आरहे है।

         दीपावली का यह त्यौहार श्री राम का चौदह बर्ष के बाद अयोध्या बापिस  आने की खुशी में मनाया जाता है। 

    इस दिन बच्चे खील बतासे व खिलौना भी बहुत प्यार से खाते है।

  सौनू अपनी दादी के द्वारा यह सब सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ।

,30  Days Festival Competition  के लिए लिखी गयी रचना।

नरेश शर्मा  " पचौरी "





   18
5 Comments

Khan

25-Oct-2022 07:43 PM

Nice 👍

Reply

Mahendra Bhatt

23-Oct-2022 04:18 PM

शानदार

Reply

Supriya Pathak

22-Oct-2022 08:45 PM

Bahut khoob 💐👍

Reply